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घर-परिवार से दूर रहकर बलिया का लाल बना IPS, रोते-रोते मां ने बताई कैसे की तैयारी
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घर-परिवार से दूर रहकर बलिया का लाल बना IPS, रोते-रोते मां ने बताई कैसे की तैयारी

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यूपीएससी टॉपर आफताब आलम...

UPSC में बाजी मारने वाले बलिया के लाल मोहम्मद आफताब आलम ने बताया कि वह जिले के ईश्वरपुरा (गोठहुली) गांव के रहने वाले है ...अधिक पढ़ें

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सनन्दन उपाध्याय/बलिया: सही कहते हैं मां के ऋण को चुकाया नहीं जा सकता. खुशी भरे आंसू के बीच वो भी क्या शब्द थे, जो हर किसी के दिल को झकझोर दिया. यूपीएससी में बाजी मारने वाले आफताब की मां ने बताया कि बेटे ने 8वीं के बाद सफलता पाने के लिए घर छोड़ दिया था. घर में जब अच्छा भोजन बनता था, तो उस समय बेटे की याद में पूरा परिवार रोता था कि मेरे बेटे को खाने के लिए क्या मिला होगा. बेटे का घर से जाना एक बेटी की विदाई के दर्द से कम नहीं था. आज अपने लक्ष्य को हासिल कर आफताब ने बेटे होने का सपना पूरा कर लिया. दर्द के आंसू को खुशी में बदल दिया. आज परिवार में कितनी खुशी है, इसका वर्णन कर पाना संभव नहीं है. आइए जानते हैं इस बलिया के लाल ने यूपीएससी में कैसे किया कमाल.

बलिया के लाल मोहम्मद आफताब आलम ने बताया कि वह जिले के ईश्वरपुरा (गोठहुली) गांव के रहने वाले हैं. प्रारंभिक शिक्षा आठवीं तक गांव से ही संपन्न हुई. इसके बाद तैयारी में जुट गए. दिन- रात पढ़ाई- लिखाई करने के बाद ये मुकाम हासिल किया है. आज मेरे माता-पिता की खुशी का अंत नहीं है.

भाई से रहा मित्रता का संबंध
मोहम्मद आफताब आलम के भाई मोहम्मद महताब आलम ने कहा कि हम दोनों सगे भाई हैं. लेकिन, आज तक भाई के रिश्ते से नहीं बल्कि एक मित्र के रिश्ते से हम दोनों साथ रहते हैं. हम दोनों की बातें भी हमेशा मित्र की तरह होती हैं. हम दोनों एक दूसरे से राय लेकर ही अगला काम करते हैं.

ऐसे हुई पढ़ाई- लिखाई

मो. आफताब आलम ने बताया कि वह गांव के रहने वाले हैं, जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई आठवीं तक हो पाई. इसके बाद हाईस्कूल और इंटर के लिए वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय चले गए.  उन्होंने आईआईटी इंदौर से किया है.

त्योहार पर नहीं जाते थे घर
उन्होंने आगे बताया कि बीटेक के दौरान तीसरे वर्ष में ही कोरोना काल के दौरान घर वह घर आ गए. इस दौरान उनकी इच्छा हुई यूपीएससी की परीक्षा देने की. इसकी तैयारी के लिए वह फिर घर से बाहर चले गए. पढ़ाई के प्रति इनकी लगन बहुत ज्यादा थी कि वह त्योहार के समय भी घर आना पसंद नहीं करते थे.उनका लक्ष्य केवल पढ़ाई है. मम्मी रोती रहती थी कि तुम्हारे बिन अच्छा नहीं लग रहा है. लेकिन उनका सपना था कि मां के इन आंसू को हमेशा के लिए खुशी के आंसू में बदल दूंगा. आज यूपीएससी में 512 वीं रैंक पाकर उन्होंने मां को ये खुशी दे दी है. उन्होंने बताया कि वह माता-पिता का सपना पूरा करने में कामयाब हो गए.

Tags: Ballia news, Local18